Harda Blast: चार बच्चे अपने माता-पिता की खोज में, सिर्फ स्कूल के कपडे बचे।
Harda Blast: विस्फोट के बाद चार-भाई बहन स्कूल से भागते हुए आए और अपने माता-पिता को खोजने लगे, लेकिन भयानक विस्फोट ने उन्हें अपने साथ ले लिया। इन बच्चों के पास अब सिर्फ स्कूल के कपड़े बचे हैं। इनके पास घर नहीं है और कोई भी उनकी मदद करने वाला नहीं है। ये चारों बच्चे इस भयंकर विस्फोट में अकेले रह गए हैं।
ये बच्चे बुधवार को घटनास्थल पर खड़े थे, उम्मीद से कि कुछ मदद मिलेगी। उन्हें सुनकर हर किसी की आंखें नम हो जाएंगी। यह सवाल हर जगह उठता है कि इन मासूमों ने क्या गलत किया?
14 साल का राजा चंदेले ने सिसकते हुए कहा कि हमारे पास सिर्फ स्कूल की पोशाक बची है। राजा चार भाई-बहनों में सबसे छोटा है। उसके तीन बहनें हैं: नेहा (19 वर्ष), पायल (17 वर्ष) और पलक (5 वर्ष)। उसने बताया कि हमारे पास न तो घर है और न ही खाने के लिए कुछ है। हमारा भविष्य क्या होगा?
चारों छोटे बालक स्तब्ध लग रहे थे। उन्हें पता नहीं चल रहा था कि क्या करना चाहिए था। उन्हें बोलते समय उनकी आवाज लड़खड़ा रही थी। उसकी आंखें चारों ओर घूम रही थीं, हर कोई मदद करने के लिए उत्सुक था। उन बच्चों के मां-बाप, 40 वर्षीय मुकेश चंदेले और 38 वर्षीय उषा चंदेले का नाम मृतकों की आधिकारिक सूची में हैं।
फैक्ट्री क्षेत्र में उनका पूरा परिवार एक घर में रहता था। विस्फोट शुरू होते ही पिता मुकेश राजमिस्त्री काम पर नहीं था। बच्चे विद्यालय गए थे। बच्चों ने बताया कि सुबह करीब 11 बजे वे जोरदार धमाकों की आवाज सुनकर घर की ओर भागे, जब उनका दिल धड़क रहा था।
Harda Blast: भूखे, भटकते बच्चों की कहानी
मुकेश के छोटे भतीजे अरुण ने बताया कि उनके पिता बुजुर्ग हैं और लकवाग्रस्त हैं। मुकेश अपनी पत्नी के साथ अपने पिता को बचाने के लिए अपने घर की ओर दौड़ पड़ा जब फैक्ट्री में धमाका हुआ। दोनों ने अपने बुजुर्ग पिता को सुरक्षित निकाल लिया, लेकिन कुछ ही देर बाद तीनों एक भयानक आग में मर गए।
गांव के लोगों ने इन छोटे-छोटे मासूमों की मदद करने के लिए प्रशासन से गुहार लगाई है। पड़ोसी ने बताया कि ये छोटे बच्चे अब कैसे जीएंगे। इनके पास न घर है न कुछ खाने के लिए। ये बालक दो दिनों से स्कूल की ड्रेस पहनकर मदद की मांग कर रहे हैं। इनका सब कुछ इस हादसे ने खो दिया। ये मासूम बच्चे अब कहां जाएंगे?
गावं वालों ने कहा कि लगातार शिकायतों के बावजूद भी फैक्ट्री चल रही थी, लेकिन प्रशासन चुप था। यही सवाल हर जगह उठता था: इन मासूम बच्चों के माता-पिता ने क्या गलत किया? लोगों का कहना है कि प्रशासन इन बच्चों को सहायता देना चाहिए।
पड़ोसियों में से एक ने बताया कि हमले के बाद चारों ओर दहशत फैल गई। ईंटों के टुकड़े फैक्ट्री से बाहर निकल रहे थे। जिससे बहुत से लोग मारे गए। मानव शरीर के टुकड़े हवा में उड़ रहे थे। इन बच्चों के मां-बाप भी इसकी चपेट में आ गए और मर गए। अब सबसे बड़ा सवाल है कि ये मासूम अब किसके पास मदद मांगेंगे? इन बच्चों का भविष्य क्या होगा?
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