विश्व कप में शानदार प्रदर्शन करने वाले शमी को अर्जुन पुरस्कार मिलेगा, जानें अमरोहा का लड़का कैसे स्टार बन गया
साल 2023 में भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी को शानदार प्रदर्शन के लिए अर्जुन अवॉर्ड मिलेगा। उन्हें नौ जनवरी को पुरस्कार मिलेगा। उन्हें देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पुरस्कार देंगी। इस साल मोहम्मद शमी ने वनडे विश्व कप में बेहतरीन प्रदर्शन किया था। उनके पास सबसे ज्यादा 24 विकेट थे और टीम इंडिया को फाइनल तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इसी प्रदर्शन के कारण वे अर्जुन अवॉर्ड के लिए चुने गए हैं। यहां हम शमी की महान क्रिकेटर बनने की कहानी बता रहे हैं। विश्व कप के बाद शमी ने खुद इसका खुलासा एक इंटरव्यू में किया था।
शमी ने बताया कि वे अमरोहा गांव से हैं और उनके बड़े भाई और पिता क्रिकेट खेलते थे। दोनों तेज गेंदबाजी करते थे। इसलिए शमी ने क्रिकेट भी शुरू किया और तेज गेंदबाज बन गया। उन्हें पता ही नहीं चला कि कब वह पूरी तरह से क्रिकेट में डूब गए। ड्यूक स्कूल में शमी ने लेदर गेंद से बल्लेबाजी करना शुरू किया था। वह टेनिस गेंद से क्रिकेट खेलते हुए भी विकेटकीपिंग कर चुका है। लेकिन हमेशा से ही तेज गेंदबाजी उनकी पहली प्राथमिकता रही है। वे बड़े भाई को देखकर क्रिकेट खेलने लगे। उनके बड़े भाई बहुत अच्छे खिलाड़ी थे, लेकिन पथरी ने उन्हें क्रिकेट छोड़ दिया। यही कारण था कि उन्होंने शमी को आगे बढ़ाया।
स्कूल के एक मैच में उनके भाई ने शमी को पारी की शुरुआत कराई, और शमी ने 34 से 35 गेंद में शतक जड़ दिया, जबकि उन्होंने पहले कभी लेदर गेंद से नहीं खेला था। इस मैच में शमी ने 108 रन बनाए थे।
बाद में वह अपने बड़े भाई की मदद से क्रिकेट खेलता रहा, जिससे उसे क्रिकेटर बनने की इच्छा हुई। तब उन्होंने देखा कि घर से तीस किलोमीटर दूर स्टेडियम है। उनके पिता ने गाड़ी नहीं दी। ऐसे में हर दिन बस से 60 किलोमीटर चलना मुश्किल था। स्टेडियम ने जाकर पहली बार तकनीक सीखी और सैन्य तैयारी करने वाले लड़कों के साथ ट्रेनिंग करने लगे।
शमी कुमार: क्रिकेट के रास्ते में असफलता से सफलता तक की कहानी
बातचीत में शमी ने बताया कि पहले साल यूपी की रणजी टीम में उनका चयन नहीं हुआ था, लेकिन वह बहुत निराश नहीं थे। दूसरे वर्ष भी उन्होंने प्रयास किया। ट्रायल में 1600 लड़के शामिल हुए और तीन दिन में चयन करना था। ऐसे में शमी के बड़े भाई ने मुख्य चयनकर्ता से कहा कि उन्हें शमी का अवसर देना चाहिए। चयनकर्ता ने कहा कि आपका भाई चुना जाएगा अगर आप मेरी कुर्सी हिला सकते हैं। शमी के बड़े भाई ने कहा कि मैं कुर्सी को उल्टा भी कर सकता हूँ, लेकिन मुझे नहीं चाहिए; अगर दम है तो लेना।
शमी ने यूपी छोड़ने का विचार बनाने के बाद अपने कोच से बात की, और उनके कोच ने उनके लिए त्रिपुरा में खेलने का अनुबंध बनाया। शमी भी त्रिपुरा में नहीं खेल सका। तीन साल बर्बाद करने के बाद, उनके कोच ने कोलकाता में एक क्लब में ट्रायल की पेशकश की। परीक्षण के दौरान पिच सीमेंट की गई थी, जिससे शमी के लंबे रन अप को पूरा करने के लिए जगह ही नहीं थी। जब वे कोच को बताया कि कम जगह है, तो कोच ने कहा कि इसी जगह पर ट्रायल करना होगा। उन्होंने दस गेंद कीं और बल्लेबाज को तीन से चार बार आउट कर दिया। तब वे खाने के लिए गए और ब्रेड और चने (घुघनी) पाए।
मोहम्मद शमी की क्रिकेट की कहानी: जुगाड़, संघर्ष और सफलता
शमी ने पिता का एटीएम कार्ड और 2500 रुपये लेकर कोलकाता गए, लेकिन उन्हें कार्ड का उपयोग करना भी नहीं आता था। साथी खिलाड़ियों को 700 रुपये का कमरा मिल गया, लेकिन कोच ने दो दिन तक उनके चयन पर कुछ नहीं कहा। शमी ने तीसरे दिन कोच को बताया कि उसके पास सिर्फ एक हजार रुपये बचे हैं। तब क्लब का कप्तान उनसे मिलने आया और कहा कि तुम्हारा चयन 99 प्रतिशत तय है, लेकिन क्लब के मालिक देखेंगे। आप इसके बाद चुने जाएंगे।
तीसरे दिन, शमी ने कहा कि आप हमारे लिए खेल सकते हैं, लेकिन आपको पैसे नहीं मिलेंगे। क्लब उनके रहने और भोजन की व्यवस्था कर रहा था, इसलिए शमी इसके लिए तैयार हो गई। जबकि उनके माता-पिता इसके लिए तैयार नहीं थे, शमी ने मान लिया कि उसे खेलना था। वह पार्टी करने वाली जगह में ही सोया, क्योंकि उन्हें चार दिन तक घर नहीं मिला। तब उन्हें रहने के लिए घर मिल गया। उन्होंने खेलते हुए नौ मुकाबलों में 45 विकेट झटके। उन्हें बाद में मैनेजर ने २५ हजार रुपये और घर जाने का टिकट भी दिया। शमी ने मम्मी को ये पैसे दिए। Papa फिर से उन्हें पैसे दिए।
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