सलार पार्ट वन सीज फायर
सलार पार्ट वन सीज फायर : देवी की पूजा करने वाले देश में बच्चियों के बलात्कार की घटनाएं लगभग हर दिन अखबारों और न्यूज चैनलों की सुर्खियां बनती हैं। अब ये शैतान प्रकाश में आते हैं। अपने झुंड के साथ शिकार करने। हवस की पतंग बनाते हैं और उड़ाते हैं जिस स्थान पर ये पतंग गिरे, वहां की बच्ची उनका शिकार बनती है। यहाँ तक कि बच्चियां पूजा करके थक जाती हैं। काली मां नहीं आती, लेकिन एक सलार आता है, लिखित कानूनों को नहीं मानता। वह इन आततायियों को मार डालता है और एक ऐसा नायक बन जाता है जिसके लिए भाषा, प्रांत और परंपराएं टूट जाती हैं।
फिल्म “सलार पार्ट वन सीज फायर” का ये एकमात्र दृश्य प्रभास को मर्दानगी के उच्चतम स्तर पर ले जाता है, जहां वह पहले सिर्फ “बाहुबली” में पहुंचा था। यहां मामा और मां भी हैं। यहाँ एक कल्पनाशील राजकुमारी भी है। लेकिन इस बार कहानी में एक दोस्त भी है, जिस पर वेदा हाथ नहीं काटता। उसका गला काटता है।
रक्तरंजित कहानियों का नवीनतम अध्याय
भारतीय सिनेमा भी अब रक्तरंजित कथाओं के विश्व सिनेमा में बढ़ते चलन से प्रभावित हो रहा है। फिल्म “एनिमल” को पसंद करने वालों को फिल्म “सलार पार्ट वन सीज फायर” ने सोशल मीडिया पर एक और मौका देने जा रहा है। फिल्में सिर्फ वयस्कों के लिए बनाई गई हैं। यहां, हालांकि, कोई नग्न दृश्य नहीं है, जैसे “एनिमल”। पूरी फिल्म 1917 से 2017 तक की एक कहानी कहती है। भूगोल: 1947 में यहाँ रहने वालों ने ही इसे भारत के नक्शे से मिटा दिया था।
लेकिन, इस फिल्म को लिखने वालों ने कल्पनाओं के घोड़े ऐसे खोले हैं कि यह कहानी अमेरिका से देश भर में फैल गई। वेदा, अपनी शिक्षक मां के साथ असम के तिनसुकिया में रहता है, हिंसा से दूर है। लेकिन, एक दिन एक युवती, जो अमेरिका से आकर बीस साल से चुप रही है, इस कहानी को हिला देती है। उधर, खानसार में सत्ता की लड़ाई अभी भी जारी है। जब कुछ दिनों के लिए कुर्सी पर बैठा राजा मन्नार एक गुप्त सूचना की पुष्टि करने के लिए बाहर जाता है, तो उसकी बेटी राजसत्ता संभालती है, और इसके बाद घातक षडयंत्र शुरू होते हैं। इस साम्राज्य को बलैदेव राज्यम्, बलैदेव आसनम् कहा जाता है, जिसकी शक्ति वेदा में काली के बेटे की समान है।
वीडियो गेम जनरेशन की फिल्म
‘सलार पार्ट वन सीज फायर’ वास्तव में एनिमल की तुलना में भयावह, हिंसक और वीभत्स है। वीडियो गेम जनरेशन को ऐसी फिल्में बड़े परदे पर दिखाई देनी चाहिए। वे इन हिंसक वीडियो गेम खेलों को मोबाइल, कंप्यूटर और घर के बड़े टीवी पर खेलते हैं, जिससे वे थक गए हैं। अब वे इन अनुभवों को आईमैक्स परदे पर जीवंत होना देखना चाहते हैं। ‘केजीएफ’ सीरीज की फिल्में बनाकर लेखक और निर्देशक प्रशांत नील ने सोचा कि इतिहास में कल्पनाओं की कहानियां ले जाकर भारतीय दर्शकों को बताया जा सकता है।
खासकर जब हर भाषा के प्रांतों में इसमें ‘एंग्री यंगमैन’ जैसा एक तड़का बहुत पसंद किया जाता है। इस बार प्रशांत नील ने गेम ऑफ थ्रोन्स कहानी लिखी है। इस फिल्म में ये “केजीएफ” की कहानी से कम से कम कोई मेल नहीं खाता, और फिल्म में “केजीएफ” स्टार यश भी नहीं दिखते. फिर भी, कहानी अभी भी बहुत दिलचस्प है। प्रशांत नील ने फिल्म ‘सलार पार्ट वन सीज फायर’ के अंत में बिना किसी पोस्ट क्रेडिट सीन के अपनी सीक्वेल फिल्म ‘सलार पार्ट टू शौर्यांग पर्वम्’ की घोषणा की।
बड़े परदे का ‘बाहुबली’ वापस आया
प्रभास ने बाहुबली सीरीज की दोनों फिल्मों के बाद से स्टारडम में कमी नहीं देखी है। इसके बाद उनकी तीन फिल्में, साहो, राधेश्याम और आदिपुरुष, सुपरहिट रहीं। उन्हें बॉक्स ऑफिस पर फिल्म “सलार पार्ट वन सीज फायर” का पुनर्जीवन मिला। रिलीज से पहले ही एडवांस बुकिंग में लगभग 50 करोड़ रुपये कमाने वाली फिल्म यह भी दिखाती है कि प्रभास के तिलिस्म में एक योग्य निर्देशक का जादू मिल जाए तो वह अब भी एक बड़े दर्शक वर्ग के प्यारे अभिनेता बने हुए हैं। निर्देशक प्रशांत नील ने फिल्म “सलार पार्ट वन सीज फायर” में ओम राउत के काम को पूरा किया है, जो उन्होंने “आदिपुरुष” में नहीं किया था।
फिल्म की हीरोइन प्रशांत ने दो दोस्तों की कहानी को अपनी कहानी का बीज बनाते हुए इतना बड़ा बरगद तैयार किया है कि फिल्म की हीरोइन भी हांफ जाती है और रुककर दो घूंट पीना चाहती है। प्रभास की बड़े परदे पर आमद के समय बजने वाली सीटियां उनकी लोकप्रियता का असली प्रमाण हैं. प्रभास ने भी बहुत सलीके से एक शांतचित्त लेकिन खूंखार किरदार निभाया है। लेकिन प्रभास की फिल्मों में से एक है “सलार पार्ट वन सीज फायर”।
श्रिया, पृथ्वीराज और जगपति का परचम
फिल्म का मुख्य किरदार वेदा का बचपन का दोस्त वर्धा है, जिसे पृथ्वीराज सुकुमारन ने निभाया है। वह खानसार राजा की दूसरी पत्नी है। वेदा की मां की लाज बचाने के लिए दी गई कुर्बानी के चलते वह दर बदर होता है, लेकिन राजा को बुढ़ापे में इस राजकुमार की याद ही आती है। राजा के इस एक निर्णय से पूरे खानसार के सरदार और सिपहसालार परेशान हैं। सलार का अर्थ भी सरदार है। वर्धा को बचाने के लिए उसका बचपन का सलार देवा फिर लौटता है क्योंकि उसका जीवन खतरा में है।
यदि प्रभास ने अपने बेटे के रूप में कई दृश्यों में उत्कृष्ट भावनात्मक अभिनय किया है, तो पृथ्वीराज सुकुमारन पहले एक लाचार राजकुमार और फिर दोस्त का साथ पाकर बने शूरवीर के रूप में बहुत प्रभावी हैं। जितनी देर भी जगपति बाबू परदे पर रहते हैं, उनका रुआब काबिलेगौर है। श्रुति हसन का किरदार कहानी के इस पहले भाग में सिर्फ उत्प्रेरक है। साथ ही, श्रिया रेड्डी ने फिल्म सलार पार्ट वन सीज फायर में महिला किरदार निभाया है। Shreya Reddy ने राजनीति में महिला किरदार को कई पुरुष किरदारों से अलग रखा है।
शानदार उत्पादन डिजाइन और काले रंग का पैलेट
अब, फूजी कलर और ईस्टमैन कलर से होते हुए सिनेमा में कलर पैलेट भी कहानी को रंग देने में सहायक होने लगा है। सलार पार्ट वन सीज फायर में काला कलर है। साथ ही, वह इसलिए है क्योंकि इसके सभी प्रमुख किरदार बकवास हैं। वे काले या सफेद नहीं हैं। आजकल सिनेमा को स्याह किरदारों को कहानियों का आधार बनाना बहुत अच्छा लगता है।
अब न तो “एनिमल” रणविजय सिंह को अपने परिवार के लिए हत्या करते हुए जमाने की जरूरत है और न ही “सलार पार्ट वन सीज फायर” के वेदा को अपने दोस्त के लिए हत्या करते हुए जमाने की जरूरत है। ये सिनेमा संवेदनाओं पर आधारित है।
इसमें गुडी गुडी सिनेमा की खोज करने वाले लोग धीरे-धीरे हाशिये पर जा रहे हैं। टी एल वेंकटचलपति ने फिल्म की शानदार डिजाइनिंग की है।
दृश्य सिनेमैटोग्राफी, सांसें रोकने वाली कार्रवाई
‘सलार पार्ट वन सीज फायर’ में भुवन गौड़ा की सिनेमैटोग्राफी प्रशांत नील के तरकश का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बनती है। अंबारिवू के सांसों को रोकने वाले एक्शन निर्देशन में एक अलग विचार देखने को मिलता है। फिल्म का संपादन करने में उज्ज्वल कुलकर्णी का कौशल भी तारीफ के काबिल है, जो विदेशी स्थानों की हवाई फोटोग्राफी को सेट पर शूट किए गए दृश्यों में पिरोकर एक काल्पनिक दुनिया का हिस्सा बना देता है।
फिल्म की हिंदी डबिंग भी काफी प्रभावशाली है, जो फिल्म को हिंदी में भी लोकप्रिय बनाने का पूरा दमखम देती है। वास्तव में, अगर फिल्म में रवि बसरूर का उत्कृष्ट संगीत भी होता, तो फिल्म ‘एनिमल’ जैसी एडल्ट फिल्म पूरे चार स्टार पाने लायक होती। बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म का एक बड़ा हिस्सा है।
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