नागरिकता संशोधन अधिनियम: ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन करना होगा आसान
CAA नियमों के अनुरूप, ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन मांगे जाएंगे। यह काम पूरा हो चुका है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान, भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासी लोगों के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों से नागरिकता लेना आसान हो जाएगा।
देश भर में ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम’ (सीएए) लागू हो गया है। सोमवार शाम को नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर केंद्र सरकार ने घोषणा की है। इसके अलावा, गैर मुस्लिम प्रवासी समुदाय के लोग नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए एक पोर्टल बनाया गया है। गृह मंत्रालय ने इसके लिए पूरी तरह से तैयारी की है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के नियमों को बनाने के लिए संसदीय समिति ने कुछ दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक और विस्तार भेजा था। नौ जनवरी को पहले सेवा विस्तार समाप्त हो गया। सीएए कानून बनाने के लिए गृह मंत्रालय को सात बार विस्तार दिया गया था। गृह मंत्रालय को इससे पहले भी राज्यसभा से छह महीने का समय दिया गया था कि वह इस विषय पर कानून बनाए और लागू करे।
CAA से नागरिकता प्राप्ति: पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता में आसानी
सीएए नियमों के अनुरूप, ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन मांगे जाएंगे। यह काम पूरा हो चुका है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान, भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम लोगों के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों से नागरिकता लेना आसान हो जाएगा। हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी इन छह समुदायों में शामिल हैं। 11 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन विधेयक संसद द्वारा पारित किया गया। राष्ट्रपति ने एक दिन में इस विधेयक पर सहमति दी। सीएए से पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता मिलेगी।
सीएए किसी को स्वयं नागरिकता नहीं देता है। इससे योग्य व्यक्ति आवेदन करने के योग्य होते हैं। यह कानून 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए लोगों पर लागू होगा। इसमें प्रवासियों को भारत में रहने का समय साबित करना होगा। उन्हें यह भी साबित करना होगा कि वे धार्मिक उत्पीड़न से भारत आए हैं। वे लोग संविधान की आठवीं अनुसूची में दी गई भाषाओं को बोलते हैं। नागरिक कानून 1955 की तीसरी सूची के नियमों को भी पूरा करना होगा। प्रवासी इसके बाद ही आवेदन के पात्र होंगे।
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