इजरायल ने गाज़ा पर ‘मौत की बारिश’ की, फॉस्फोरस बम के रिएक्शन का विवेचन
इजरायल ने हाल ही में गाज़ा पर ‘मौत की बारिश’ की, जिसमें फॉस्फोरस बमों का इस्तेमाल किया गया। फॉस्फोरस एक अद्भुत और प्रभावी युद्धास्त्र है जो ऑक्सीजन के साथ रिएक्शन करके तबाही मचा सकता है। यहां फॉस्फोरस बम के रिएक्शन का विवेचन है:
1. फॉस्फोरस का इस्तेमाल: फॉस्फोरस बमें फॉस्फोरस तत्व होता है जो विभिन्न अवस्थाओं में मौजूद हो सकता है, जैसे कि वायुमंडलीय फॉस्फोरस और वायुमंडलीय फॉस्फोरस पेंट।
2. ऑक्सीजन के साथ रिएक्शन: यह बम ऑक्सीजन के साथ परिसंघ करता है जब यह वायुमंडलीय फॉस्फोरस के साथ संपर्क में आता है। इस प्रकार का रिएक्शन बड़ी उर्जा मुक्त करता है और तेजाब से भरा होता है, जिससे इसे ‘मौत की बारिश’ कहा जाता है।
3. उच्च तापमान और ध्वनिक संवेग: फॉस्फोरस बम के रिएक्शन में उच्च तापमान और ध्वनिक संवेग उत्पन्न होता है, जिससे इसका प्रभावी क्षेत्र बढ़ जाता है।
4. आग का प्रसार: यह बम अपने आत्मसमर्थन क्षमता के कारण अपने आसपास के क्षेत्र में आग का प्रसार कर सकता है, जिससे विशिष्ट युद्धीय क्षेत्र में तबाही मचा सकता है।
फॉस्फोरस बमों का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून के तहत विवादास्पद है, और इसे जल्दी ही समाधान करना महत्वपूर्ण है।
किसने किया था आविष्कार?
सफेद फास्फोरस का आविष्कार ब्रिटिश सेना द्वारा नहीं, बल्कि जॉन वॉल्फ वॉन रैम (John Wolf von Rath), एक आइसलेंडिक रसायनज्ञ, ने 1669 में किया था। सफेद फास्फोरस का नाम “कुपंग” से लिया गया है, जो यूनानी शब्द “लाइट-ब्रिंगर” से आया है।
19वीं शताब्दी में फेनियन (आयरिश राष्ट्रवादी) द्वारा इस्तेमाल का दावा अजीब हो सकता है, क्योंकि तब तक सफेद फास्फोरस की विज्ञानिक जानकारी नहीं थी।
पहला कारखाना-निर्मित सफेद फास्फोरस ग्रेनेड, जिसे “मौत का अंगूठा” भी कहा गया, ब्रिटिश सेना ने पहले विश्व युद्ध के दौरान 1916 में पेश किया था।
यह कितना खतरनाक है?
फॉस्फोरस बम का टेम्प्रेचर 800 डिग्री सेंटीग्रेड से ज्यादा होता है, जिससे यह एक अत्यंत खतरनाक और प्रभावी हथियार बनता है। इसका धमाका होने पर, इसके कण बहुत दूर तक फैल सकते हैं, जिससे लोगों को चोट पहुंच सकती है और इससे जान भी जा सकती है।
फॉस्फोरस के धुआं का सांस लेने पर इंसान की जान को खतरा होता है, क्योंकि इसका धुआं विषैले होते हैं और इंसान के श्वास को प्रभावित कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, फॉस्फोरस की संपर्क में आने पर यह त्वचा और अंदरूनी टिश्यू को क्षति पहुंचा सकता है, और इससे गंभीर चोटें और अस्तित्व को खतरा हो सकता है।
इसलिए, फॉस्फोरस का उपयोग सावधानीपूर्वक और जिम्मेदारी से होना चाहिए, ताकि इससे होने वाले संभावित हानिकारक प्रभावों से बचा जा सके।
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