भारत-मालदीव संबंध: ताक़तों की दोरी या दोस्ती की नई शुरुआत?
मालदीव सरकार के तीन नेताओं और उप मंत्रियों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए की गई टिप्पणी ने दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी पैदा की है।
मालदीव के नए राष्ट्रपति के शपथ लेने के दो महीने बाद ही इस तरह की बयानबाजी ने छह दशक से ज्यादा समय से चले आ रहे भारत-मालदीव संबंधों को एक नाजुक मोड़ पर ला दिया है, जिसने मालदीव की सियासत और अर्थव्यवस्था दोनों को हिला डाला है।
माना जाता है कि मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का चीन से निकटता है।
वह फिलहाल चीन में भी है। इसलिए इस पूरे घटनाक्रम में चीन भी शामिल हो सकता है।
भारत द्वारा मालदीव को बॉयकॉट करने का क्या असर मालदीव की अर्थव्यवस्था पर होगा?
क्या नेताओं की बयानबाजी भारत-मालदीव के छह दशक पुराने संबंधों को समाप्त कर देगी?
मालदीव के पूर्व उपराष्ट्रपति और पर्यटन मंत्री अहमद अदीब ने अमर उजाला डॉट कॉम के साथ एक विशेष बातचीत की, जिसका उद्देश्य इन सभी प्रश्नों का उत्तर देना था।
राष्ट्रपति के संबंधों पर चर्चा: भारत और मालदीव के रिश्तों का अध्ययन
वर्तमान में राष्ट्रपति ने भारत और मालदीव के संबंधों पर खुलकर चर्चा की। बातचीत के कुछ हिस्से उपलब्ध हैं..।
1. प्रश्न: मालदीव के कुछ वरिष्ठ मंत्रियों ने जो बयानबाजी की है, उससे भारत-मालदीव के रिश्ते बिगड़ गए हैं। आप इसे कैसे देखते हैं?
जवाब: जो कुछ हुआ, यह बिल्कुल नहीं होना चाहिए था। जिन तीन उपमंत्रियों ने भारतीयों और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी की है, वे किसी भी परिस्थिति में अनुचित हैं। भारत और मालदीव के बीच काफी पुराना इतिहास है। नई सरकार को यह समझना चाहिए।
2. प्रश्न: लेकिन इस घटना के बाद भारत ने मालदीव को घेरना शुरू किया। क्या आपको लगता है कि अब रिश्ते सुधर सकते हैं?
जवाब: भारतवासी इस घटनाक्रम से निश्चित रूप से दुखी हैं। मालदीव सरकार को भारत से माफी मांगनी चाहिए। इसके अलावा, मालदीव के राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्यक्तिगत रूप से मिलना चाहिए। सरकार ने बयानबाजी करने वाले मंत्रियों को हटाया है।
3. प्रश्न: आप भारत जैसे सहयोगी देश के खिलाफ बयान देने वाले मंत्री को सस्पेंड करना पर्याप्त समझते हैं? आपके ही देश में तीन जूनियर मंत्रियों की वजह से हालात बदतर हो रहे हैं।
जवाब: जूनियर मंत्री मूलतः एक्टिविस्ट रहे हैं। लेकिन वह अब सरकार में एक महत्वपूर्ण पद पर है। सरकार में रहना और एक्टिविज्म में रहना बहुत अलग हैं।
4. प्रश्न: मालदीव की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का महत्वपूर्ण योगदान है, जिसमें भारत के लोगों की बड़ी हिस्सेदारी शामिल है। अब जब मालदीव में बॉयकॉट शुरू हुआ है, आप मालदीव की अर्थव्यवस्था डगमगा जाएगी?
जवाब: भारत हमारे देश में पर्यटन की मांग में पहले स्थान पर है। भारत ने इस पूरे घटनाक्रम के बाद बॉयकॉट करना शुरू किया है, जिससे पर्यटन पर बुरा प्रभाव पड़ा है। यहाँ तक की लग्जरी होटलों और विमानों की बुकिंग धीमी हो गई है, और यह सब राजनीति की वजह से हो रहा है। मालदीव और उसकी जनता कभी नहीं मानेगी कि राजनीति ने उनकी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डाला है। यहां पर्यटन से जुड़े लोग भी सरकार से मांग कर रहे हैं कि यह मामला तुरंत सुलझाया जाए।
5. प्रश्न: इस पूरे घटनाक्रम के बाद, आप भी लक्षद्वीप के लोगों से लगातार संपर्क कर रहे होंगे। हमारे प्रधानमंत्री ने अपने देश के एक सुंदर द्वीप की तारीफ करते हुए पर्यटन को बढ़ाना चाहा। आप और आपके देशवासी इस घटना को कैसे देख रहे हैं?
जवाब: जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूं, तीन जूनियर मंत्रियों की बातें पूरी तरह से मालदीव की बात नहीं हो सकतीं; हालांकि, सरकार को कड़ी कार्रवाई करके और भारत को भरोसे में लेकर भी यह साबित करना होगा। जब बात मोदी की है, तो वह भारत के प्रधानमंत्री ही नहीं बल्कि एक विश्वव्यापी नेता भी हैं। रीजनल लीडरशिप में भी उनका महत्व उतना ही है।
वह हमेशा हमारी सहायता करते हैं। इसलिए किसी भी कीमत पर उनके खिलाफ की जाने वाली बयानबाजी स्वीकार नहीं की जा सकती। सब कुछ दुरुस्त करते हुए, वर्तमान सरकार को यह भी भरोसा दिलाना चाहिए कि ऐसा दोबारा नहीं होगा।
6. प्रश्न: मैं आज सुबह मालदीव की खबरें देख रहा था, जहां ट्रैवल एजेंसियों और पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों ने सरकार से दखल की मांग की है ताकि देश की अर्थव्यवस्था को कोविड से बचाया जा सके।
जवाब: ये बात बिल्कुल सही है। हमारे देश की जनता को डर है कि पर्यटन पर आधारित अर्थव्यवस्था फिर से गिर जाएगी। टूरिज्म और ट्रेवल क्षेत्र से जुड़े लोगों ने भी सरकार से मांग की है कि वह इस मामले में कदम उठाए, जिससे भारतीयों में भरोसा फिर से बढ़ जाए। मैं कहता हूँ कि मालदीव को भारत की मदद के बिना चलाना बहुत मुश्किल होगा। हमारे राष्ट्रपति जल्द ही चीन से वापस आ जाएंगे।
7. प्रश्न: मालदीव में अभी चुनाव हुए हैं। सरकार दो महीने की है। फिर भारत में यह बयानबाजी कैसे शुरू हुई? भारत और मालदीव के रिश्ते काफी पुराने हैं।
जवाब: भारत और मालदीव के संबंध पर्यटन पर आधारित नहीं हैं। हमारे दोनों देशों के बीच बहुत ही मजबूत रिश्ते हैं। भारत ने मालदीव की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है, स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास तक। जब बात बयानबाजी की आती है, तो मैंने पहले ही बताया था कि जूनियर मंत्रियों में से अधिकांश एक्टिविस्ट थे। उनको समझना चाहिए कि देश चलाने से एक्टिविज्म बहुत अलग है।
8. प्रश्न: चीन के वर्तमान राष्ट्रपति मुइज्जू को चीन का समर्थक बताया जाता है। उन्होंने अपने पूरे चुनाव के दौरान भारत के खिलाफ “भारत बाहर” अभियान चलाया।
जवाब: चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने एंटी इंडिया सेंटीमेंट पर चर्चा की थी। इससे पहले मोहम्मद यामीन ने भारत के खिलाफ ऐसी ही सियासत की थी। भारत के खिलाफ कुछ बड़े मुद्दे थे। विरोध के दौरान आप कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन राजनीति ही सरकार बनाती है। सरकारें, चाहे चीन हो या कोई दूसरा देश, हमेशा बदल जाती हैं। लेकिन डिप्लोमेसी से प्रेरित रिश्ते हमेशा बेहतर होते हैं। और आप कभी अपने पड़ोसी बदल नहीं सकते।
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