सैम बहादुर: देश के पहले फील्ड मार्शल की कहानी
सैम बहादुर! विक्की कौशल की आज रिलीज हुई फिल्म का नाम है। और यह फिल्म देश के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की जिंदगी पर आधारित है।
फिल्म देखने से पहले सैम बहादुर के बारे में कुछ जानें।
पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान को अलग कर बांग्लादेश बनाने और भारत को मजबूत बनाने में इंदिरा गांधी के साथ-साथ उनका एक छोटा सा विवरण है।
सेना में इंदिरा गांधी के सबसे वरिष्ठ अफसर के रूप में, सैम मानेकशॉ ने इंदिरा गांधी की राजनीतिक धुरी पर मजबूत निर्णयों का पालन करके इतिहास रच दिया।
युद्ध से पहले, उन्होंने इंदिरा गांधी को एक पत्र लिखकर बताया कि युद्ध कब शुरू होगा।
सैम बहादुर, सैनिक की उच्च गरिमा और शौर्य की कहानी
फिल्म में बचपन से शुरू हुआ सिलसिला आता है।
विक्की कौशल ने सैम मानेकशॉ का किरदार इस फिल्म में निभाया है।
सैम बहादुर का निर्देशन राजी की प्रसिद्ध निर्देशक मेघना गुलजार ने किया है।
सैम बहादुर के बचपन के पालने में झूलने से शुरुआत होती है।
माता-पिता ने अपने बच्चे का नाम साइरस रखा है, लेकिन बीती रात मोहल्ले में इसी नाम का एक चोर पकड़ा जाता है, जिससे वे चिंतित हो जाते हैं।
बाद में सैम बहादुर को वर्दी पहने और सीना ताने वाले सैनिक के रूप में दिखाया जाता है।
सैम बहादुर द्वितीय विश्वयुद्ध में भाग लेते हैं। बर्मा चले जाओ।
विक्की कौशल: सैम बहादुर के रूप में चमकते हुए
फिल्म में विक्की कौशल ने सैम बहादुर का किरदार निभाया। इस फिल्म को विक्की कौशल की अदाकारी का प्रमुख बिंदु कहना सही होगा।
उनका अभिनय बेहतरीन था। वे सैम मानेकशॉ का किरदार पूरी तरह से पसंद करते हैं।
विक्की कौशल ने हर मामले में करिश्मा दिखाया है, जैसे कि सैन्य अधिकारी का रौब, दूरदर्शिता, निर्णय क्षमता, चाल-ढाल और बातचीत का अंदाज।
उन्हें पर्दे पर देखकर सोचा जा सकता है कि इस किरदार के लिए उन्होंने कितना मेहनत की होगी।
उन लोगों ने सैम मानेकशॉ की भूमिका को पूरी तरह से निभाया है, ठीक वैसे ही जैसे सैम मानेकशॉ ने अपनी जान झोंककर देश का गौरव बचाया था।
सैम मानेकशॉ: सैन्य वीरता में हास्य का अद्भुत मिश्रण
यदि आपको लगता है कि सेना, राजनीति और युद्ध जैसे विषयों पर आधारित फिल्म थोड़ी बोरिंग होगी, तो आप गलत हैं।
युद्ध जैसे परिस्थितियों में भी इस फिल्म में कई ऐसे अवसर हैं जो आपको खुलकर हंसाते हैं।
फिल्म देखकर आपको लगता है कि सैम मानकेशॉ का ह्यूमर सेंस कितना अद्भुत रहा होगा!
युद्ध और सैन्य नियंत्रण के अलावा, इस फिल्म में कई हास्यपूर्ण दृश्य भी हैं।
एक जगह पर वे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को ‘स्वीटी’ कहते नजर आते हैं।
बर्मा युद्ध के दौरान नौ गोलियों से घायल होने के बाद भी वे हँसते रहते हैं।