अफ़ग़ानिस्तान में पाकिस्तान तालिबान के कमांडरों पर हो रहे रहस्यमयी हमलों के पीछे कई कारण हो सकते हैं। यह स्थिति जितनी जटिल है, उतनी ही कई प्रतिस्पर्धी ताकतें और तत्वों के बीच संघर्ष का परिणाम हो सकता है। निम्नलिखित कारण हो सकते हैं
बीबीसी मॉनिटरिंग के अनुसार, पाकिस्तानी और अफ़ग़ान मीडिया ने रिपोर्ट किया है कि अज्ञात लोगों के हमले में टीटीपी के 18 कमांडरों में से कुछ को मार गए या घायल हुए हैं।
सबसे हाल की घटना में, 12 सितम्बर को पाकिस्तानी मीडिया में रिपोर्ट हुई कि टीटीपी के प्रमुख, मुफ़्ती नूर वली मेहसूद के क़रीबी, बादशाह ख़ान मेहसूद, ने अफ़ग़ानिस्तान के पक्तिका प्रांत में हुए एक आईडी धमाके में जान गंवाई। इसी प्रांत में, टीटीपी के एक अन्य वरिष्ठ कमांडर, अहमद हुसैन उर्फ घाट हाजी, की 25 अगस्त को हुई मौत की भी ख़बर है।
दिलचस्प है कि अधिकांश मामलों में टीटीपी ने इन टारगेट किलिंग की न तो पुष्टि की है और न ही इसे खंडन किया है। ये हमले तालिबान के काबुल पर दोबारा काबिज़ होने के चार महीने बाद शुरू हुए हैं। लेकिन न तो पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने इसकी ज़िम्मेदारी ली है और ना ही किसी चरमपंथी ग्रुप ने इन हमलों की ज़िम्मेदारी ली है।
जनवरी, 2022 से अब तक, टीटीपी के कम से कम 18 कमांडरों में से कुछ को मार गया है और कुछ को घायल हो गए हैं। ये कमांडर टीटीपी के पांच ग्रुपों से जुड़े थे, जिसमें पूर्व जमात-उल-अहरार से आठ, स्वात और मेहसूद से तीन-तीन, बजौर से दो और डारा आदम खेल ग्रुप से एक था।
टीटीपी के केंद्रीय प्रवक्ता, मुफ़्ती खालिद बुल्टी, जिन्हें गिलगित बाल्टिस्तान के रहने वाले थे और जिन्होंने कराची में पाकिस्तानी तालिबान को ज्वाइन किया था, को भी निशाना बनाया गया है।
ये हमले पाकिस्तान की सीमा के पास अफ़ग़ानिस्तान के चार प्रांतों में हुए हैं, जिसमें आठ हमले नानगरहर, पांच कुनार, चार पक्तिका, और एक कंधार में हुआ। हत्या के तरीकों में इस्तेमाल होने वाली आईईडी, टारगेटेड किलिंग, अपहरण, हत्या, और ज़हर देना शामिल है।
World Cup के लिए भारतीय टीम में हुई R Ashwin की एंट्री, Axar Patel की जगह उन्हें शामिल किया गया है।