भारत में अफगानिस्तान की एम्बेसी बंद हो गई है, इसके तीन अधिकारी और डिप्लोमैट्स देश छोड़ चुके हैं। एम्बेसी के इंचार्ज एम्बेसडर ने तालिबान को एक खत लिखकर बताया है कि उन्हें तालिबानी सरकार की तरफ से कोई भी समर्थन या डिप्लोमैटिक सहायता नहीं मिली है, जिसके कारण उन्हें अपना कार्य पूरा करने में समस्या उत्पन्न हो रही है। इसके परिणामस्वरूप, सभी डिप्लोमैट्स ने भारत छोड़कर अमेरिका और यूरोप की ओर रुख कर ली है।
भारत में अफगान एम्बेसी बंद, तालिबान के साथ तनाव
भारत में अफगान एम्बेसी बंद हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप तीन अधिकारी और डिप्लोमैट्स देश छोड़ चुके हैं। एम्बेसी के इंचार्ज एम्बेसडर ने तालिबान को एक खत लिखकर बताया है कि उन्हें तालिबानी सरकार की तरफ से कोई भी समर्थन या डिप्लोमैटिक सहायता नहीं मिली है, जिसके कारण उन्हें अपना कार्य पूरा करने में समस्या उत्पन्न हो रही है। इसके परिणामस्वरूप, सभी डिप्लोमैट्स ने भारत छोड़कर अमेरिका और यूरोप की ओर रुख कर ली हैं।
दूसरी ओर, तालिबान ने खुद कहा है कि उन्होंने फरीद मामुंदजई की नियुक्ति नहीं की थी और भारत समेत किसी भी देश ने तालिबान हुकूमत को मान्यता नहीं दी है। इसके बावजूद, भारत सरकार ने मामुंदजई को वहां का असली एम्बेसेडर माना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान और भारत सरकार के बीच तनाव की कोशिशें बढ़ रही हैं और मामुंदजई तालिबान और भारत सरकार के बीच तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे थे।
तालिबान की मान्यता की मांग, भारत ने दी इनकार
तालिबान ने 15 अगस्त 2021 को काबुल और पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था और उसके बाद से वह लगातार दुनिया से मान्यता मांग रहा है। जुलाई के आखिरी हफ्ते में, तालिबान के कार्यकारी रक्षा मंत्री मुल्लाह मोहम्मद याकूब मुजाहिद ने अल-अरेबिया न्यूज चैनल को एक इंटरव्यू दिया और कहा, “सरकार ने मान्यता हासिल करने के लिए सभी जरूरतें पूरी की हैं।”
हालांकि, इसके बावजूद अमेरिका के दबाव में आकर दूसरे देश हमें मान्यता नहीं दे रहे हैं। तालिबान ने अमेरिका के दबाव में आकर उन देशों से मान्यता की अपील की है जो अमेरिका के दबाव में नहीं हैं, और वह चाहते हैं कि दुनिया के ताकतवर इस्लामिक देश तालिबान को सरकार के रूप में मानें। यहां तक कि तालिबान ने भारत समेत किसी भी देश ने उनकी सरकार को मान्यता नहीं दी है।