सकट चौथ 2024: विशेष महत्व और फलाशी जो बनाता है यह व्रत विशेष
सकट चौथ 2024: सनातन धर्म में हर त्योहार और व्रत का अपना अलग महत्व है और हर व्रत किसी खास उद्देश्य से किया जाता है। आज संकष्टी चतुर्थी, सकट चौथ या तिलकुटा है। महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और भगवान गणेश को पूजती हैं। (Sankashti Chaturthi, 2024) कहते हैं कि इस व्रत को रखने से बच्चों को हर संकट दूर होता है। विवाहित जोड़े जो संतान चाहते हैं, उनके लिए भी सकट चौथ का व्रत बहुत फायदेमंद माना जाता है। पूजा के बाद इस दिन व्रतकथा पढ़नी चाहिए। तभी व्रत संपूर्ण माना जाता है.
सकट चौथ की कथा
पौराणिक कहानी में एक साहूकार और उसकी पत्नी एक नगर में रहते थे। दोनों को दान, पुण्य और धर्म में कोई भरोसा नहीं था। दंपति को कोई बच्चा नहीं था, इसलिए वे अकेले दुखी रहते थे। एक दिन साहूकारनी अपने पड़ोसन के घर गई। पड़ोसन उस दिन सकट चौथ की पूजा कर रहे थे। साहूकारनी ने पड़ोसन से पूछा कि आप क्या कर रहे हैं। तब पड़ोसन ने कहा कि मैं पूजा कर रहा हूँ क्योंकि आज सकट चौथ है। साहूकारनी ने पड़ोसन से पूछा कि इस व्रत से क्या लाभ मिलता है। पड़ोसन ने कहा कि इसे करने से धन, सुहाग और पुत्र मिलेंगे।
इसके बाद साहूकारनी ने कहा कि अगर मेरा बच्चा हो गया तो मैं चौथ का व्रत रखूंगी और सवा सेर तिलकुट करूंगी। साहूकारनी की प्रार्थना भगवान गणेश ने स्वीकार कर ली, जिससे वह गर्भवती हो गई।
जब वह गर्भवती हुई, साहूकारनी ने कहा कि अगर मेरा लड़का हो जाए तो मैं ढाई सेर तिलकुट करूंगी। कुछ दिन बाद उसका पुत्र हुआ। तब साहूकारनी ने कहा कि अगर मेरे बेटे का विवाह हो जाए तो मैं सवा पांच सेर का तिलकुट बनाऊँगी। भगवान गणेश ने भी उसकी ये विनती सुन ली और लड़के का विवाह कर दिया गया। सब कुछ होने के बाद भी साहूकारनी ने हार नहीं मानी।
इससे सकट देवता गुस्सा आया। साहूकारनी का बेटा फेरे ले रहा था, तो उन्होंने उसे फेरों के बीच से उठाकर पीपल के पेड़ पर बैठा दिया। तब हर कोई वर खोजने लगा। लोग अपने घरों को लौट गए क्योंकि उनके पास वर नहीं था। जिस लड़की से साहूकारनी के लड़के का विवाह होने वाला था, एक दिन वह अपनी सहेलियों के साथ जंगल में दूब लेकर गणगौर पूजन करने गई। तब पीपल के पेड़ से एक आवाज आई, “ओ मेरी अर्धब्यही.” लड़की घबरा गई और अपने घर चली गई। लड़की की मां ने कारण बताया जब उसने पूछा।
तब लड़की की मां पीपल के पेड़ के पास गई. उसने जाकर देखा कि पेड़ पर बैठा व्यक्ति उसका जमाई था। लड़की की मां ने जमाई से कहा कि तुम यहाँ क्यों बैठे हो? मेरी बेटी ने उसे अर्धब्यही कर दिया था, अब क्या चाहते हो? साहूकारनी का बेटा ने इस पर कहा कि मेरी मां ने चौथ का तिलकुट कहा था, लेकिन अभी तक नहीं किया था। मैं यहाँ बैठा हुआ हूँ क्योंकि सकट देवता नाराज हैं। यह सुनकर, लड़की की मां साहूकारनी के घर गई और उससे पूछा कि आपने सकट चौथ के बारे में क्या कहा था।
हां, मैंने तिलकुट कहा था, साहूकारनी ने कहा। तब साहूकारनी ने कहा, हे सकट चौथ महाराज, अगर मेरा बेटा घर वापस आ जाए तो मैं ढाई मन का तिलकुट करूंगी। गणपति ने इस पर उसे एक बार फिर अवसर दिया और उसके बेटे को वापस भेजा। साहूकारनी के बेटे का विवाह इसके बाद हुआ। साहूकारनी के बेटे और पत्नी घर पहुंचे। तब साहूकारनी ने ढाई मन तिलकुट कर कहा, “सकट देवता, तुम्हारी कृपा से मेरे बेटे पर आया संकट दूर हो गया और मेरा बेटा और बहू घर पर सुरक्षित हैं।” मैं तुम्हारी महिमा समझ गया हूँ। अब मैं हमेशा तिलकुट बनाकर आपका सकट चौथ व्रत करूँगा।
ये भी पढ़े : परीक्षा पे चर्चा 2024: 2.25 करोड़ पंजीकृत विद्यार्थी आज कार्यक्रम का लाइव प्रसारण यहां देख सकेंगे