Harda Factory Blast: भयानक घटना में 11 मौतें, 74 जख्मी; अवैध फैक्ट्री के मालिकों को गिरफ्तार
Harda Factory Blast: मध्य प्रदेश के हरदा में एक पटाखा फैक्ट्री में भयंकर विस्फोट हुआ। इस हादसे में अब तक 11 लोग मर गए हैं और 74 झुलस गए हैं। 11 को रेफर कर दिया गया है, शेष 63 जिला अस्पताल में हैं। बहुत से लोग लापता हैं और फैक्ट्री मालिक सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
मध्य प्रदेश के हरदा नगर में मंगलवार सुबह हुए एक अवैध फटाखा फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट और आगजनी के बाद बहुत कुछ सामने आया है। प्राप्त सूचना के अनुसार, यह फैक्ट्री में काम करने के लिए अनुकूल नहीं था। वहीं, करीब एक महीने पहले हुई घटना की जांच में पता चला कि यह गैरकानूनी रूप से चल रहा था।
यह फैक्ट्री पट्टे की जमीन पर राजेश अग्रवाल (राजू), सोमेश अग्रवाल (सोमू) और प्रदीप अग्रवाल की संयुक्त उद्यम थी। जो बताया जाता है कि कांग्रेस और बीजेपी से जुड़े हुए हैं। वहीं, फैक्ट्री मालिकों द्वारा इन दलों को चुनाव में धन देने की चर्चा भी हो रही है। फिलहाल, स्थानीय सिविल लाइन थाना की पुलिस और जिला प्रशासन की भूमिका भी फैक्ट्री के अवैध संचालन को लेकर संदेहास्पद है।
Harda Factory Blast: राजेश अग्रवाल और पटाखा फैक्ट्री की कहानी
व्यवसायी राजेश अग्रवाल की पटाखा फैक्ट्री की शुरुआत करीब 20 साल पहले हरदा के ही बैरागढ़ गांव से हुई थी, जो मंगलवार को देश भर के मीडिया में चर्चा का विषय बन गया था. हरदा नगर के हरदा मगरधा रोड पर। उसके बाद से ही फैक्ट्री का कामकाज बढ़ाते हुए मालिक राजेश अग्रवाल ने तय सीमा से अधिक बारूद भंडारण किया। इसके अलावा, फैक्ट्री के आसपास काम करने वाले लोगों को बारूद देकर उनके घरों में पटाखों का निर्माण किया जाने लगा। शहर से दूर एक गांव में एक पटाखा फैक्ट्री खुलने के बाद काम की तलाश में लोगों ने धीरे-धीरे यहीं घर बनाकर बसना शुरू कर दिया।
फैक्ट्री में काम करने वाले करीब चालिस परिवार भी यहां अस्थाई घर बनाकर रहने लगे। कुछ दिन बाद मालिक राजेश ने फैक्ट्री से बाहर मेन रोड पर एक बड़ा सा गोदाम बनाया, जहां उसने पटाखों की बिक्री भी शुरू की।
तत्कालीन एसपी ने फैक्ट्री बंद करने को पत्र लिखा
पटाखे की अवैध फैक्ट्री के मालिक राजेश ने पुरानी सब्जी मंडी के आने घर से भी पटाखों को भंडारण कर वहीं से बेचना भी शुरू किया. कुछ दिनों बाद, राजेश ने शहर के हंडिया रोड पर एक और पटाखा फैक्ट्री भी खोली। तत्कालीन एसपी ने इस फैक्ट्री को बंद करने के लिए एक पत्र भी भेजा, जिसमें आम लोगों की शिकायतें थीं।
लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। यह दुर्घटना इतनी बड़ी नहीं होती अगर प्रशासन समय रहते कार्रवाई करता। हालाँकि, स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों ने खतरे को भांपते हुए इस फैक्ट्री को बंद करने की कई बार कोशिश की, लेकिन वह हर बार असफल रहे।
Harda Factory Blast: एक महीने पहले जांच की गई थी
जिला प्रशासन हरदा के अधिकारियों ने बताया कि करीब एक महीने पहले फैक्टी की जांच हुई थी, जिसमें अधिकारियों ने फैक्टी का संचालन सही पाया था, इसलिए उसे चलाने दिया गया। लेकिन उसके बाद से मालिक राजेश अग्रवाल ने अधिक बारुद डाला होगा, जो दुर्घटना का कारण बन गया होगा।
Harda Factory Blast: तीन साल पहले सील
तीन साल पहले भी हरदा के मगरधा रोड पर एक पटाखा फैक्टरी में ब्लास्ट हुआ था, जिसमें मंगलवार को आग लगी। तब हादसे में एक ही परिवार की तीन महिलाओं की मौत हो गई, और फैक्ट्री का मालिक राजेश अग्रवाल भी जेल गया। तत्कालीन एसपी ने फैक्ट्री का लाइसेंस रद्द करने का प्रस्ताव जिला प्रशासन को भेजा। उस समय, जिला कलेक्टर ने इसे अयोग्य भी बताया और इसे बंद कर दिया। लेकिन इसे बाद में नर्मदापुरम के संभागायुक्त ने वापस ले लिया।
एसडीएम को बनाया गया था प्रस्तुतकर्ता अधिकारी
यह हादसा हुआ है, जैसा कि हरदा एसडीएम के एक परते ने बताया है, पटाखा फैक्ट्री में फिट नहीं था। कुछ समय पहले, हरदा प्रशासन ने पटाखा फैक्ट्री को अयोग्य घोषित किया था। इसे बाद में संभागायुक्त नर्मदापुरम ने फिर से शुरू किया था। डेढ़ एकड़ की जमीन में फैक्ट्री है। 300 से अधिक लोग इस स्थान पर काम करते हैं। फैक्ट्री में काम करने वाले करीब चालिस परिवार अस्थाई घर बनाकर रह रहे थे। तहसीलदार हरदा लवीना घागरे ने बताया कि राजेश, सोमेश और प्रदीप फैक्ट्री को सील करने के बाद हाईकोर्ट गए थे। बाद में एसडीएम को इस मामले में प्रस्तुतकर्ता अधिकारी नियुक्त किया गया।
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